हिंदी के सुपरिचित कवि-कथाकार प्रकाश मनु की कहानियों का कुछ अलग रंग-अंदाज है। पिछले तीन दशकों में लिखे गए चर्चित उपन्यासों ‘यह जो दिल्ली है’, ‘कथा-सर्कस’ तथा ‘पापा के जाने के बाद’ के साथ-साथ उनकी कथा-यात्रा निरंतर चलती रही, जिसने हिंदी के बहुतेरे लेखकों पाठकों का ध्यान आकर्षित किया। एक ओर ‘अंकल को विश नहीं करोगे’ सरीखी उनकी कहनियां उनकी हर रोज कुछ और अमानवीय होते गए समय में सार्थक हस्तक्षेप की तरह देखी गई, तो दूसरी ओर ‘सुकरात मेरे शहर में’, ‘कला नगरी में एक ड्रामा’ जैसी कहानियाँ करुणा से लबालब होकर, जीवन की तलछट में जी रहे और एक किस्म के ‘पागलपन’ की ओर धकेल दिए गए पात्रों का रोजनामचा पेश करती हैं। प्रकाश मनु की बहुतेरी कहानियाँ हमारी दुनिया में स्त्रियों की तकलीफों, उत्पीड़न और भीतरी कशमकश से जोड़ती हैं और स्त्री-पात्रों को इतनी निकटता और संजीदगी से पेश करती हैं कि लगता है हर पात्र अपनी मुश्किलों और आँसुओं की एक अलग कहानी कह रहा है। ‘अरुंधती उदास है’, ‘यात्रा’, ‘डॉक्टर शोभा’, मिसेज मजूमदार’, ‘एक सुबह का महाभारत’ तथा ‘अपराजिता की वे करुण आँखें’ इस लिहाज से आत्मकथात्मक होते हुए भी, बेचैनी से कुछ बड़े सवालों से टकराती नजर आती है। एक कहानीकार के रूप में प्रकाश मनु की खासियत यह है कि उनकी हर कहानी एक अलग समय और इतिहास की कथा होते हुए भी, कुल मिलाकर एक ऐसी बृहद् कथा-धारा से जुड़ती है, जिसमें भावनाओं की बेचैन कशमकश के साथ ऐसी प्रश्नाकूल बहसें छिड़ जाती हैं, जो किसी भी संवेदनशील पाठक को शांत और तटस्थ नहीं रहने देतीं प्रकाश मनु की चर्चित और चुनिंदा कहानियों का यह संग्रह, निस्संदेह हिंदी साहित्य के लेखकों और पाठकों को बहुत कुछ अपना-सा और आत्मीय लगेगा।
Books Information | |
Author Name | Prakash Manu |
Condition of Book | Used |
- Stock: Out Of Stock
- Model: SGBa148