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Kachnar by Vrindavan Lal Verma

Kachnar by Vrindavan Lal Verma
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Kachnar by Vrindavan Lal Verma

महंत ने कहा- 'सुमंतपुरी, तुमने एक बार मुझसे प्रश्न किया था कि मै र्द्वजन्म में कौन था। आज उस प्रश्न का उत्तर देने का समय आ गया है। सुमंतपुरी, तुम उस जन्म में राजा थे, यह बात मैं पहले बतला चुका हूँ।' सुमंतपुरी- 'मैं कहाँ का राजा था, महाराज ' महंत-'तुम सुमंतपुरी, र्द्वजन्म में इसी धामोनी के राजा थे।' सुमंतपुरी- 'धामोनी का!' कचनार- 'धामोनी के?' महंत- 'हो धामोनी के। मेरी बात में कोई संदेह नहीं।' कचनार- 'तो महाराज, अंत- पुरीजी का शरीर किसी और का है और आत्मा किसी और की है? कृपा करके समझाइए। मैं बहुत भ्रम में पड़ गई हूँ। -एक जन्म में तीन जन्मों के स्मरण की ऐसी अनूठी, पर ऐतिहासिक कथा, जिससे चिकित्सा शास्त्र के अच्छे-अच्छे विद्वान् भी चकरा गए|

Books Information
Author NameVrindavan Lal Verma
Condition of BookUsed

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Rs.132.00
Rs.250.00
Ex Tax: Rs.132.00
  • Stock: Out Of Stock
  • Model: SGCf04
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