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Kulbhooshan Ka Naam Darj Keejiye by Alka Saraogi

Kulbhooshan Ka Naam Darj Keejiye by Alka Saraogi
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Kulbhooshan Ka Naam Darj Keejiye by Alka Saraogi

डेढ़ चप्पल पहनकर घूमता यह काला लम्बा, दुबला शख़्स कौन है? हर बात पर वह इतना ख़़ुश कैसे दिखता है? उसे भूलने का बटन देने वाला श्यामा धोबी कहाँ छूट गया? कुलभूषण को कुरेदेंगे, तो इतिहास का विस्फोट होगा और कथा-गल्प-आपबीती-जगबीती के तार निकलते जायेंगे। कुलभूषण पिछली आधी सदी से उजड़ा हुआ है। देश-घर-नाम-जाति-गोत्रा तक छूट गया उसका, फिर भी अर्ज कर रहा है, माँ-बाप का दिया कुलभूषण जैन नाम दर्ज कीजिए। इस किरदार के आसपास के संसार में कोई दरवाज़ा-ताला नहीं है, लेकिन फिर भी इसके पास कई तिजोरियों के रहस्य दफ़न हैं। एक लाइन ऑफ़़ कंट्रोल, दो देश, तीन भाषाएँ, पाँच से अधिक दशक...कुलभूषण ने सब देखा, जिया, समझा है। जिन त्रासदियों को हम इतिहास का गुज़रा समय मान लेते हैं, वे वर्तमान तक आकर कैसे बेख़बरी से हमारे इर्दगिर्द भटकती रहती हैं, यह उपन्यास इसे अचूक इतिहास-दृष्टि के साथ दर्ज करता है। पूर्वी बंगाल से आज़ादी से चलता गया लगातार विस्थापन, भारत में शरणार्थियों को बंगाल से बाहर राम-सीता के निर्वासन की तरह दण्डकवन में बसाने की कोशिशकृये सारी कथाएँ एक मार्मिक महाआख्यान रचती हैं। कथा के भीतर उसकी शिरा-शिरा में बिंधा हुआ एक मानवीय आशय है, जो किरदार की निरीहता और प्रौढ़ता को पाठक के मन में टंकित कर देता है। इतिहास, भूगोल, संस्कृति, साम्प्रदायिकता, जाति-व्यवस्था, समाज और इन सबके बीच फँसे लोगों की बेदख़लियों से परिचय यह कथा क़िस्सागोई की लचक के साथ करवाएगी। अपने भीतर बसे झूठे, रंजिश पालने वाले, चिकल्लस बखानने वाले पर साथ ही उदात्त प्रेमी, अशरण के पक्ष में खड़े ख़ुद निराश्रित-जैसे किरदार कुलभूषण की दुनिया में यूँ ही चलते-फिरते मिलेंगे। उनकी बातों में आये तो फँसे, न आये तो कुलभूषण के जीवन-झाले में घुस नहीं पायेंगे।

Books Information
Author Name Alka Saraogi
Condition of Book Used

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Rs.103.00
Rs.199.00
Ex Tax: Rs.103.00
  • Stock: Out Of Stock
  • Model: SGCc32
  • ISBN: 9789389915938
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