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Mrignayani by Vrindavan Lal Verma

Mrignayani by Vrindavan Lal Verma
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Mrignayani by Vrindavan Lal Verma

मानसिंह ने नाहर का बारीकी के साथ निरीक्षण किया। नाहर ने केवल एक तीर खाया था। राजा ने पूछा, 'नाहर की गरदन पर किसका तीर बैठा ?' निन्नी ने सिर झुका लिया। लाखी ने तुरंत सामने होकर उत्तर दिया, 'निन्नी-मृगनयनी का।' राजा ने दूसरा प्रश्न किया, 'अरने के माथे पर बरछी किसकी खोंसी हुई है ?' लाखी बोली, 'मृगनयनी की।' 'वाह ! धन्य हो !! तुम दोनों धन्य हो !!!' मानसिंह के मुंह से निकला और उसने अपने गले से सोने का रत्नजड़ित हार निकालकर निन्नी के गले में डाल दिया।

Books Information
Author NameVrindavan Lal Verma
Condition of BookUsed

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Rs.132.00
Rs.250.00
Ex Tax: Rs.132.00
  • Stock: Out Of Stock
  • Model: SGCf15
  • ISBN: 9788173150159
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