कहानियाँ खोजी नहीं जातीं, गढ़ी नहीं जातीं, वे तो हमारे-आपके रोजमर्रा के जीवन के आस-पास बिखरी रहती हैं। उन्हें तिनका-तिनका बटोरना पड़ता है, समेट-सहेजकर एक अनुबंध करना पड़ता है उनके साथ ताकि लेखक और पाठक दोनों के साथ वे आत्मा की गहराइयों तक घुल-मिल सकें। मैंने ये कहानियाँ शायद इसलिए लिखीं क्योंकि जीवन के हर पड़ाव, हर मोड़ पर मुझे कई तरह के कड़वे-मीठे अनुभवों ने झकझोरा है। उन्हें व्यक्त कर देने की व्याकुलता ने ही मुझे लेखन की प्रेरणा दी। समय के साथ स्मृतियाँ धुँधली पड़ती जाती हैं परंतु लेखनी के माध्यम से मैंने इन्हें सहेजने का एक प्रयास मात्र किया है। कहानियाँ अनुभव से ज़रूर बटोरी गई हैं किंतु उनमें कल्पना का तड़का भी लगा है। अलकनंदा उर्फ़ नंदी का ब्याह मेरी एक दूर की रिश्तेदार ने करवाया था। छोटी दुल्हन आज भी एक मठ में सिद्ध संन्यासिनी है। कुछ बरस पहले उससे मिलना हुआ था। ‘तर्पण' कहानी का अक्षर-अक्षर सत्य है। ऐसे भी परिवार होते हैं। ‘दिद्दा' कहानी के माध्यम से गोरखपुर के अपने पैतृक घर को, जो अब बिक चुका है, को पुनः स्मरण किया है। ‘काली बकसिया' आज भी मेरे पास सुरक्षित है। नंदिनी सक्सेना की बेटी निफ्ट, मुंबई की ग्रेजुएट थी। हर कहानी लिखते समय मन बार-बार व्यथित हुआ। कई-कई बार आँखें भीगीं लेकिन जब कहानी पूरी हुई तो हृदय पर मानो एक शीतल लेप-सा लग गया। संकलन आपके सामने है, आलोचना भी आप ही करेंगे और प्रशंसा भी। यदि किसी कहानी ने आपके मर्म को छुआ हो तो में स्वयं को धन्य मानूँगी।.
Books Information | |
Author Name | Abha Srivastava |
Condition of Book | Used |
- Stock: Out Of Stock
- Model: SGCc63
- ISBN: 9789387464971