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Lalitaditya (Hindi) Hardcover by Vrindavan Lal Verma

Lalitaditya (Hindi) Hardcover by Vrindavan Lal Verma
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Lalitaditya (Hindi) Hardcover by Vrindavan Lal Verma

राजा ने यथाशक्‍त‌ि नम्रता के साथ कहा-' हम कश्मीर नरेश, भारत सम्राट‍् ललितादित्य हैं । तुक्खर देश की ओर जा रहे हैं । '

साधु के मुख पर आश्‍चर्य की एक रेखा तक नहीं खिंची । उसी समता, तटस्थता के साथ बोला-' जानते हो, पूर्वजन्म में क्या थे?'

राजा के भीतर विनय की बाढ़-सी आ गई । नम्रता के साथ उत्तर दिया-' मैं नहीं जानता, जान ही नहीं सकता । आप योगी हैं, अवश्य हैं । आप ही बतलाइए ।'

साधु ने कुछ क्षण ध्यान लगाने के बाद कहा-' तुम पूर्वजन्म में एक समृद्ध गृहस्थ के नौकर थे, जो खेती कराता था । तुम उसका हल जोतते थे । वह गाँव श्रीनगर से बहुत दूर है जहाँ तुम उस भूमि-स्वामी के खेतों में हल जोतकर अपना जीवन चलाते थे । जिन दिनों तुम हल चलाते, भूमि-स्वामी तुम्हारे लिए खेत पर रोटी औंर पानी भेजता था । एक दिन गरमी की ऋतु में बड़े-बड़े बैलों का भारी हल चलाते-चलाते थक गए । दिन- भर हल चलाया, परंतु न रोटी आई और न पानी मिला । आसपास कहीं भी पानी था ही नहीं । भूख और प्यास के मारे तुम्हारा गला सूख गया । तड़प रहे थे कि थोड़ी- सी दूरी पर रोटी-पानी लानेवाला दिखलाई पड़ा । प्रसन्न हो गए । वह एक मोटी रोटी लाया था और एक छोटा-सा घड़ा पानी का । तुमने खाने के लिए हाथ-मुँह धोया ही था कि कहीं से एक ब्राह्मण हाँफता- हाँफता तुम्हारे पास आकर बोला-' मत खाओ, मैं भूखों मरा जा रहा हूँ ' । -इसी पुस्तक से

Books Information
Author NameVrindavan Lal Verma
Condition of BookUsed

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Ex Tax: Rs.135.00
  • Stock: Out Of Stock
  • Model: sga17185
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