मोहन राकेश को नाटकों को अग्रदूत कहा जाता है, लेकिन नई कहानी के उद्भव और विकास में भी इन्हें अग्रणी स्थान प्राप्त है। मोहन राकेश की कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। प्रस्तुत कहानियों की भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। अधिकांश कहानियों की कथाभूमि शहरी मध्यवर्ग से संबद्ध है। इन कहानियों को स्व. मोहन राकेश की धर्मपत्नी अनीता राकेश के निर्देशन में संपादित किया गया है। ये कहानियाँ सर्वथा प्रामाणिक मूल पाठ के साथ दी गई हैं, इसलिए पाठकों के साथ - साथ कहानी के अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं। मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर में हुआ। इन्हें जीवन में कड़ा संघर्ष करना पड़ा, लेकिन निरंतर साहित्य साधना करते रहे। इनकी कई कहानियों व नाटकों पर फिल्मों का निर्माण भी हुआ। 3 जनवरी 1972 को दिल्ली में इनका देहावासन हुआ। इनके नाटकों का मंचन आजकल भी होता रहता है।
Books Information | |
Author Name | Mohan Rakesh |
Condition of Book |
- Stock: Out Of Stock
- Model: sg757